नई दिल्ली, एएनआइ। मुंबई में बिल्डर कंपनियों से सांठगांठ के आरोप में म्हाडा अफसरों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के अफसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा दी है। म्हाडा अफसरों पर बिल्डर कंपनियों के साथ सांठगांठ करने और राज्य के खजाने को 40,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
म्हाडा के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को पांच दिन के भीतर एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था। महाराष्ट्र सरकार को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले को लेकर अप्रैल 2018 में एक पत्र लिखा था। पत्र में म्हाडा के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसी पत्र पर संज्ञान लिया था।
क्या है मामला
जानकारी अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट में इसे लेकर कमलाकर शेनॉय ने याचिका दायर की थी। इस याचिका में दावा किया गया था कि म्हाडा अपनी जर्जर हो चुकी पुरानी इमारतों के पुनर्विकास के बाद बिल्डरों से अतिरिक्त जमीन पर कब्जा पाने में असफल रहा है। यह कब्जा लगभग 1.37 लाख वर्ग मीटर का था। मुंबई में म्हाडा पुरानी इमारतों का देखरेख करता है। इसके एवज में यहां रहने वाले लोग उसे उपकर (सेस) चुकाते हैं।
अतिरिक्त जमीन राज्य सरकार की संपत्ति
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी दावा किया था कि विकास नियंत्रण नियमन 33(7) के तहत पुनर्विकास परियोजना की कोई भी अतिरिक्त जमीन राज्य सरकार की संपत्ति है। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि म्हाडा अधिकारी इस प्रावधान को जानते थे। इसके बाद भी वे पुरानी इमारतों का पुनर्विकास करने वाले बिल्डरों से अतिरिक्त जमीन वापस लेने में नाकाम रहे थे।