शिष्य वही है जो समर्पण कर देता है अर्थात जो शीश
ही नहीं झुकाता बल्कि सदा सदा के लिए स्वयं झुकने
की कला को जान जाता है, झुक जाता है। वास्तव में
गुरु तब तक ही बाहर है और केवल देह रूप है जब
तक कि समर्पण ना हो और जैसे ही समर्पण से कोई
शिष्य होता है वैसे ही गुरु सदा के लिए भीतर प्रकट
हो जाता है, देह तो केवल माध्यम है क्योंकि हम
बिना देह के समर्पण करेंगे कैसे? देह के माध्यम से
समर्पण की शुरुआत मात्र होती है पर जब समर्पण
घट जाता है और वो भी बाहर नहीं बल्कि अंतर जगत
में, तो उसी क्षण गुरु भीतर प्रकट हो जाता है। गुरु
वास्तव में किसी के लिए कोई होता ही तब है जब
किसी के भीतर समर्पण की घटना घट जाती है।
समर्पण का मतलब सिर्फ इतना ही है कि दे दिया
हाथ तेरे हाथ में, अब तू जहां ले चले, जैसे तू रखे,
जो तू दे, जो तेरी मर्ज़ी बस आज से तेरे और मेरे
बीच में “मैं” भी नहीं। गीता ग्रंथ अपने आप में
अद्वितीय उदाहरण है समर्पण का। कृष्ण सामने
खड़े हैं अर्जुन के, जीवंत उत्तर देने के लिए लेकिन
फिर भी अर्जुन के मन में चल रहे हैं सैकड़ों प्रश्न शंकाओं
के रूप में, सोचा कभी क्यों था ऐसा? मनन करिए तो
यही एक उत्तर पाएंगे कि अर्जुन के भीतर समर्पण की
घटना नहीं घटी थी तब तक। लेकिन जैसे ही अर्जुन के
भीतर समर्पण की घटना घटी तो उसने उस विराट रूप
का दर्शन अपने अंतरजगत में किया। तभी वो जान पाया
कि कृष्ण मात्र शरीर नहीं, देह नहीं बल्कि वो है उनमें जो
देह के पार का है, जो मनातीत है, जो बुद्धि के सीमा के
बाहर का है। उसने जान लिया वो जो असीम है अर्थात
किसी भी सीमा में नहीं बंधा है। इस समर्पण की घटना
से पहले कृष्ण मात्र एक सखा ही थे अर्जुन के लिए और
बाद में भी रहे लेकिन श्रद्धा और समर्पण से जिस विराट
को जाना अर्जुन ने वो कोई भी जान सकता है मगर केवल
और केवल श्रद्धा और समर्पण से। 100% श्रद्धा का मतलब
ही समर्पण होता है और 100% समर्पण से ही श्रद्धा उत्पन्न
होती है, उससे पहले नहीं ठीक ऐसे ही जैसे पानी गरम होता
है 99 डिग्री तक लेकिन खौलता है 100 डिग्री पर ही। 100
डिग्री से पहले किसी भी स्थान पर ये घटना घट ही नहीं
सकती है। जब तक 100 % प्राण परमात्मा के लिए प्यासे
ना हों तब तक विराट से एकाकार होने की घटना मात्र एक
स्वप्न ही है।
लखनऊ 16 मार्च 2021, बैंक एवं एलआईसी का निजीकरण के विरोध को लेकर विद्युत मजदूर संगठन उत्तर प्रदेश एवं विद्युत संविदा मज़दूर संगठन उत्तर प्रदेश की संयुक्त बैठक केंद्रीय कार्यालय हम्बरा अपार्टमेंट नरही लखनऊ में संगठन के अध्यक्ष अरुण कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।। बैठक में मुख्य रूप से आलोक सिन्हा मुख्य महामंत्री, श्रीचन्द्र महामंत्री, पुनीत राय संयोजक संविदा, आर वाई शुक्ला, जलीलुर्रह्मान, शैलेंद्र कुमार, अभिषेक सिंह, राजीव चंद्रा, कन्हई राम, बसंत लाल, सचिन श्रीवास्तव, जे पी त्रिपाठी, राजीव अवस्थी, कमल किशोर, मनीष श्रीवास्तव, रवि द्विवेदी,जेपी पाण्डेय, सुभाष मिश्रा, राहिल आदि लोग उपस्थित हुए।। मीडिया प्रभारी विमल चंद्र पांडे ने बताया कि बैठक में चर्चा के उपरांत बैंक एवं एलआईसी का निजीकरण किये जाने के विरोध को लेकर सर्वसम्मत से आंदोलन का नैतिक समर्थन दिए जाने का निर्णय लिया गया और सरकार से सार्वजनिक क...